स्वभाव हो , संभव हो,
सम्भावना हो।
शांत हो, प्रशांत हो,
विराट हो , सम्राट हो,
अकिंचन हो।
तुम घटा हो, छटा हो
सखा हो, अजातशत्रु हो।
प्राण हो, प्रण हो,
तेवर की त्वरा हो,
आंच का प्रज्वलन हो,
श्वास में नि:श्वास हो,
विश्वास हो।
हार में जीत हो,
जीत कर भी हार हो,
मेरा श्रृंगार हो।
महात्मा, योगी
बैरागी हो।
मेरे हो,
पर नही हो।
यही हो।
अभी हो,
यूँही हो,
तुम्ही हो।
तुम्ही हो ?
तुम ही, हो।
धर्म हो,सांख्य हो,
श्रेष्ठ में भी सर्वश्रेष्ठ हो,
सुचारू हो , गतिहीन हो ,
सूर्य की प्रकृति,
में लीन हो।
हास्य हो,
गंभीर हो,
करुणा हो,
द्रौपदी का चीर हो,
राधा का माधुर्य हो,
मीरा का विष अमृतमयी हो।
भजनं हो, संगीत हो,
रौनक हो ,
विषाद हो।
तुम कुछ भी हो-
वही , वहीं
वो नहीं हो।
रहस्य हो ,
तुम ही हो।
तुम्ही ही हो,
सर्वदा,सर्वथा, अथाह-
मेरे प्रिये ,
तुम्ही ही हो।
I bet there have been times, You too have searched for me.